Sunday, May 18, 2025
No menu items!
Homeदुनियाचीन को रूस से मिली एस-400 मिसाइल प्रणाली, सामने आईं सीमित क्षमताएं...

चीन को रूस से मिली एस-400 मिसाइल प्रणाली, सामने आईं सीमित क्षमताएं और गुप्त डील के नए खुलासे

रूस द्वारा चीन को दी गई अत्याधुनिक एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को लेकर नए खुलासे सामने आए हैं। शुरुआती दौर में इस रक्षा सौदे को चीन-रूस सैन्य सहयोग की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा गया था, लेकिन अब खबर है कि चीन को जो प्रणाली मिली है, उसमें रूस द्वारा कई प्रमुख विशेषताएं जानबूझकर शामिल नहीं की गईं।

2014 में हुआ था बहु-अरब डॉलर का रक्षा समझौता

साल 2014 में चीन और रूस के बीच हुए एक बहु-अरब डॉलर के समझौते के तहत, बीजिंग ने रूस से कई एस-400 डिवीजनों की खरीद की थी। उस समय इस डील को वैश्विक सैन्य विश्लेषकों ने रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना था। यह सौदा न केवल चीन की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम था, बल्कि रूस-चीन के बीच गहराते सैन्य संबंधों का संकेत भी था।

चीन ने रखा सौदा गुप्त, नहीं मिली तैनाती की जानकारी

हालांकि, चीन ने इस सौदे की जानकारी सार्वजनिक रूप से कभी साझा नहीं की। न तो चीनी रक्षा मंत्रालय की किसी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया और न ही इसकी तैनाती या प्रदर्शन से जुड़ी कोई जानकारी सामने आई है। जानकारों का मानना है कि चीन ने रणनीतिक कारणों से इस खरीद को गोपनीय रखा।

रूसी प्रणाली पर चीन की निर्भरता और बढ़ता संदेह

चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजिंग शुरू में रूसी वायु रक्षा तकनीक पर अत्यधिक निर्भर रहा। उसे उम्मीद थी कि एस-400 प्रणाली उसकी वायु सीमाओं की सुरक्षा को अत्यंत प्रभावशाली बनाएगी। लेकिन कुछ वर्षों के भीतर ही इस प्रणाली की प्रभावशीलता और तकनीकी पूर्णता पर सवाल उठने लगे। आश्चर्यजनक रूप से, अब चीनी सैन्य दस्तावेजों और रिपोर्टों में एस-400 का कोई उल्लेख नहीं होता।

रूस ने छिपाए एस-400 के कुछ एडवांस फीचर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने चीन को जो एस-400 प्रणाली प्रदान की, वह उसका सीमित वर्जन था। रूस ने कथित तौर पर तकनीकी जानकारी की चोरी की आशंका के चलते प्रणाली के कुछ उन्नत फीचर्स चीन को नहीं दिए। इससे यह सवाल उठता है कि क्या रूस अपने रणनीतिक रक्षा साझेदारों के साथ भी पूर्ण तकनीकी पारदर्शिता बरतने को तैयार नहीं है।

क्या यह सहयोग का अंत है या नई शुरुआत?

चीन और रूस के बीच रक्षा सहयोग का यह अध्याय अब कई सवालों के घेरे में आ गया है। क्या यह विश्वास में आई दरार का संकेत है, या दोनों देशों की सैन्य रणनीतियाँ अब अधिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं – इसका उत्तर आने वाला समय ही देगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments